बरसात और तन्हाई।

धुंधले पड़ गए हैं रास्ते जहां कभी एक साथ चले थे

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 08 Jul, 2020 | 1 min read

धुंधले पड़ गए हैं रास्ते जहां कभी एक साथ चले थे

फीकी सी हो गई हैं यादें जो कभी एक साथ संजोए थे,

वो महकते ख्वाब , वो खुशनुमा पल 

वो इंतजार, वो मीठी तकरार,

धुंधले से दिखाई पड़ते हैं।

बरसात की रातें कभी प्यार की 

खुशबू से महक उठती थीं,

आज जमीन पर गिरती बूंदों का शोर भी

दिल में फैले सुनेपन को खत्म नहीं कर पाता।

तनहाई भरे इस सफर में

बस इन सूनी रातों का साथ है

जो उम्मीद की उस जलती लौ को

मद्धिम नहीं होने देते।

फिर चलेंगे उन रास्तों पर एक साथ

कुछ नहीं यादों और सपनों को संजोने,

फिर लौट आएगी महक

कोरी बरसातों में,

फिर.......... एक बार फिर!


Sonia Madaan ✍️

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Sonia Madaan

soniamadaan

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Babita Kushwaha · 5 years ago last edited 5 years ago

    बहुत सुंदर रचना

  • Sonia Madaan · 5 years ago last edited 5 years ago

    Thank you ?

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