मौन

मंजिल करीब थी जाने फिर किस बात का खौफ था?

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Sonia Madaan
Sonia Madaan 23 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems Hindipoetry #soniamadaan #silence

मंजिल करीब थी

जाने फिर किस बात का खौफ था,

दिल में कुछ हलचल और

थमा शब्दों का बहाव था,

जड़वत, संकुचित सी भावनाएं

जैसे प्रतिक्रिया का अभाव था

धीमी गति से चलता, कभी ठहरता

समाज की संकीर्ण सोच का दबाव था,

ये मौन और कुछ नहीं 

मन के सागर में उठते

दबे, सिमटे विचारों का जमाव था

जो आजाद होना चाहते हैं

उस तमस से 

जो बाधक है प्रगति और विकास में

जिसने अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगाया है

अंधेरे से उजाले कि ओर का सफर

बस कुछ फासलों का है

मौन टूटेगा, बिखरेगा

और फिर एक नया सवेरा होगा

जो खामोशी को 

एक नया स्वर देगा, नया शब्द देगा

नयी पहचान और नया आसमान देगा।


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Sonia Madaan

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