एक खूबसूरत जिम्मेदारी है...एक कविता-पर्यावरण दिवस पर

प्रर्यावरण पर कविता - एक खूबसूरत जिम्मेदारी कांटैस्ट एंट्री

Originally published in hi
Reactions 0
460
Smita Saksena
Smita Saksena 05 Jun, 2020 | 1 min read
Nature


हरियाली से परिपूर्ण हुई फिर से अपनी धरती है, चांद दिखता फिर वही सुनहरी-जगमग थाली है।नदियां, झरने, समुंदर का जल हुआ पारदर्शी है, कलरव करते पंछी फिर से नीले नभ में विचरते हैं।मस्त, स्वच्छ, शीतल हवा बालों को यूं सहलाती है, कोयल कूके मीठे गीत, मैना फिर चहचहाती सी है। बारिश की बूंदें जैसे नाच-नाचकर कहती जाती हैं, मिट्टी से जो ये सोंधी-सोंधी सी खुशबू फिर आती है।शायद प्रकृति हमको फिर से ही सिखाना चाहती है, हर पेड़,जंतु है, इस धरा का सम्मान कहना चाहती है।पुरानी शिक्षा को वापस अमल में यूं लाना चाहती है। जहां नीम की कड़वाहट से रोग चिकित्सा होती है,  चंदन की खुशबू से खुद ये पूरी दुनिया महकती है। क्यों पुरानी कह छोड़ा उस विद्या को जो करामाती है, जिस भारत की पुरातन चीजें अब दुनिया अपनाती है।फिर है मौका, विनाश तक जा जिंदगी वापस आई है, प्रकृति संरक्षण से ही जीवन है वरना अंत निश्चित है।प्रकृति ने क्या ना दिया? फिर कभी क्यों रूठ जाती है, समझो, ना करो दोहन कि प्रकृति नाराज़ हो जाती है।करो संरक्षण मिट्टी,पानी, पेड़,हवा ये हमारी थाती है, अगली पीढ़ी को सौंपना यूं ही, खूबसूरत जिम्मेदारी है।

स्मिता सक्सेना बैंगलौर

#पर्यावरणकांटैस्ट

0 likes

Published By

Smita Saksena

smita saksenal58p

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.