चलिए, चलें अपनी जड़ों की ओर फिर से

चलिए, चलें अपनी जड़ों की ओर फिर से

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Smita Saksena
Smita Saksena 05 Apr, 2020 | 0 mins read

आज जब हम सभी देशवासी, हमारे सभी कोरोना सेनानियों (हमारे डॉक्टर, नर्सेज, सफाई कर्मी, पुलिस,सेना) को उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए सलाम कर रहे हैं, उनका आभार व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि वाकई में जो वो कर रहे हैं वो अतुलनीय है। पर यहां मैं उन छोटे छोटे बच्चों के योगदान का भी जिक्र करना चाहूंगी जो कि घर में रहकर हमारी ना केवल मदद कर रहे हैं बल्कि बहुत ही सकारात्मक तरह से उन्होंने इस लॉकडाउन को लिया है। छोटे बच्चे जिनकी इतनी उम्र भी नहीं कि वो इस कोरोना वायरस से होने वाले नुक़सान समझ भी सकें या अनुमान भर भी लगा सकें। पर फिर भी घर के अंदर रहने को मजबूर हैं हम सबको सोचना चाहिए कि कैसी दुनिया हम इन बच्चों को दें रहे हैं जहां हमने प्रकृति का इतना दोहन किया कि प्रकृति अब अपना ऐसा रौद्र रूप दिखा रही है कि जिसका शिकार ना केवल हम बड़े बल्कि देश का भविष्य में नन्हे बच्चे भी बन रहे हैं। सोचना होगा हम सभी को कि कैसे खुद की आदतों को सुधारें ताकि एक साफ सुथरा प्रदूषण मुक्त वातावरण बच्चों को दें सकें।

चलिए प्रण करें कि हम प्रकृति का दोहन कम से कम करेंगे। घर का बना खाना खाएंगे। पानी बर्बाद नहीं करेंगे और ये सब करके चलिए अपनी जड़ों की ओर वापस चलते हैं जो इतनी मजबूती से हमारे पूर्वजों ने रोटी थीं और जिनको हमें और मजबूत करना है।

स्मिता सक्सेना

बैंगलौर

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