पापा का प्यार

दुनिया माँ का प्यार तो देख लेती है पर पापा का प्यार समझ के परे होता है।ऐसे ही प्यार की एक प्यारी सी कहानी।

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Dr.Shweta Prakash Kukreja
Dr.Shweta Prakash Kukreja 13 Feb, 2022 | 1 min read
Day6 #valentineweek #paperwifflove


मौसी का फ़ोन आया,"गुड़िया नाना नहीं रहे।जल्दी आओ हम इंतज़ार कर रहे है।"

फ़ोन रख बिस्तर पर गिर पड़ी।फूट फूट कर मैं रोने लगी।"नानाजी,मेरे नानाजी।अब मैं कहाँ जाऊँगी।" बंटी और मम्मी जी ने संभाला और मैं तुरंत मीरा हो गोद में ले इनके साथ स्टेशन चल दी।न जाने कितने खयाल आया रहे थे दिमाग में।

"पापा प्लीज मान जाईये।समाज हमें खाने को नहीं देता।आप समाज की खातिर मुझे छोड़ रहे है।पापा प्लीज।

""मैं अपनी बात कह चुका हूँ।जब तुम्हें अपने परिवार की,अपनी बहनों की फिक्र नहीं है तो तुम जा सकती हो।मैं झेल लूँगा समाज के ताने।तुम्हें बाहर पढ़ने के लिए भेजना मेरी सबसे बड़ी गलती थी।सो अब सज़ा भोगनी पड़ेगी।"


"ऐसा कौन सा पाप कर दिया है मैंने पापा?हमारी जाति अलग है तो क्या हुआ?पापा आप तो पढ़े लिखे है फिर भी?"


"तुम्हें जो करना है करो।मुझे अब तुमसे कोई वास्ता नहीं।तुमने अपना परिवार चुन लिया है।अब हमसे रिश्ता खत्म।"


"क्या हुआ?"बंटी ने हिलाया तो मैं अपने खयालो से वापस आयी।चार साल हो चुके थे इस बात को जब पापा ने मेरी शादी करवाने से मना कर दिया।तब नानाजी आगे आये और मेरी शादी करवाई।मायके के नाम पर मैं नानी के घर ही जाती थी।मम्मी पापा को देखने को आँखें तरस गयी थी।पर पापा ने इन चार सालों में कभी मेरा फ़ोन नहीं उठाया ।मीरा के होने के बाद भी उन्होंने कभी उसे देखने की पहल नहीं की।

कानपुर पहुँचने पर मेरा दिल ज़ोरो से धड़क रहा था।नानी के घर जाने में पैर कांप रहे थे।बंटी ने मीरा को गोद में लिया और घर पहुँच मैं नानी के पास गई।नानाजी का शव देख बहुत रोना आया।पर जैसे ही माँ को देखा मुझसे रहा न गया।एक दूसरे से लिपट कर हम दोनों खूब रोये।मीरा को मम्मी ने छाती से लगा लिया।आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।पापा ने मुझे देखा और वहाँ से चले गए।"पापा नहीं मानेंगे,मम्मी।"मैंने फिर रोते हुए कहा।


सारी रस्मों के बाद मेरे जाने का समय हुआ।मम्मी को छोड़ने का मन नहीं हो रहा था।मीरा नहीं दिखी तो मैं बाहर गयी और धक रह गयी।पापा मीरा को नानू बोलना सिखा रहे थे।"बोलो नानू।कैसे बोलेगी मेरी लाडो नानू?"

मुझे देखा तो उठ खड़े हुए।

"ये मत सोचना की मैंने माफ कर दिया है।मेरी आत्मा आज भी गंवारा नहीं कर रही है कि मैं तुम्हे माफ करूँ।पर क्या करूँ मीरा को देख दिल पिघल गया।उसको सीने से लगाया तो एक अजीब का सुकून मिला।लोग सच कहते है कि शायद मूल से ब्याज ज्यादा प्यारा होता है।"

मुझसे रहा न गया और मैं दौड़ के उनसे लिपट गयी।

"पापा प्लीज माफ कर दो।चार साल से तरस गयी हूँ आपसे गले लगने को।पापा प्लीज।मैं रोये जा रही थी।

"तो क्या मैं नहीं तड़पा हूँ तुम्हारे लिए।तुमने पहली बार मुझे बाप बनने का सुख दिया था।तुम तो मेरा गुरूर थी।तुम्हारी माँ तो रो लेती थी,पर मैं क्या करता।"पापा ने मुझे ज़ोर से गले लगाया और पूरा परिवार हम दोनों को देख रो रहा था।

मीरा भी रोने लगी।"याद रखना पापा के दिल को मीरा ने पिघलाया है।ये झप्पी इसकी देन है।"और पापा ने मेरा माथा चूम लिया।"मेरी लाडो।"और कितनी देर तक मैं पापा के गले लगी रही।नानाजी ने जाते जाते मुझे मेरा मायका वापस दिलवा दिया था।

सच पिता का प्यार अनमोल होता है।


©डॉ.श्वेता प्रकाश कुकरेजा

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Dr.Shweta Prakash Kukreja

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Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Shah طالب अहमद · 2 years ago last edited 2 years ago

    Very true and emotional ....

  • Charu Chauhan · 2 years ago last edited 2 years ago

    Touching & it's inspired by ture story. right??

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