ना हारी हूँ ना हार पाऊँगी
ये मिथ्या मैं काट जाऊँगी।
हैं पाँवों में जो बेड़ियाँ मैं उनको तोड़ जाऊँगी।
बनूँगी मैं वो धाविका जो आ सके पहुँच में ना,
है कांस्य क्या, रजत भी क्या, मैं स्वर्ण जीत लाऊँगी।
ये तोहमतें, नसीहतें हाँ रखना अपने पास तुम,
है धरती की बिसात क्या मैं चन्द्र जीत जाऊँगी।
ये रंग जो मेरा सांवला खटकता तुमको आँख में,
इसी के दम पे आज मैं, विश्व सुंदरी कहाऊँगी।
क्यों आज भी हो टोकते, आगे बढ़ने से हो रोकते,
धिक्कारते हो घर में तुम, फिर मूर्ति में पूजते।
पहुँच गई शिखर पे मैं, फतेह करी अपनी ध्वजा,
के थल नहीं, ये जल नहीं, मैं नभ भी चीर जाऊँगी।
ज़रूरतों का नाम दे जो रोका तुमने अब मुझे,
नहीं सुनूँगी जान लो के अब ना पिसने पाऊँगी।
पहन के गहना सम्मान का, आत्मविश्वास को साथ रख,
उम्मीदों को कर के बुलंद, और ले के अपनी उमंग संग,
फहराऊंगी पताका मैं, और परचम लहराऊँगी,
बस परचम लहराऊँगी।।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well written.. As we said yesterday lets Fight back to every discrimination coz you owe yourself that respect that you deserve!! 🙌🙌
Thanks very much darling for ur sweet words n ya we have to discard our fear first n let the people know that nothing in this world which we can't do🚵💃🏋️ Victory is ours🏆✌️
Well penned
Thanks very much Sonu ❤️
Please Login or Create a free account to comment.