मन मलंग कृष्ण

मेरे कृष्ण...❤️❤️

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 30 Aug, 2021 | 0 mins read

लोक में रहकर पारलौकिक है कृष्ण,

मन है जिसका वह शक्ति आलौकिक है कृष्ण।।


राधा के मनमोहन हैं कृष्ण,

मीरा के गिरधर हैं कृष्ण।।


मुझमें तुझमें सब में है कृष्ण,

अजर अमर अतुल्य धरोहर है कृष्ण।।


दर्शनीय है और दर्शक भी कृष्ण,

मार्ग वही, और मार्गदर्शक भी कृष्ण।।


प्रेम तुम्हीं, तुम्हीं से भक्ति है कृष्ण,

टूटे जो आस वहाँ अटल शक्ति है कृष्ण।।


अंधेरे में उजास है कृष्ण,

शिथिलता में प्रयास है कृष्ण।।


अश्रुपूरित क्षणों के पीछे मन प्रसन्न है कृष्ण,

कर्म की डोर थामे मन मलंग है कृष्ण।।

शुभांगनी शर्मा

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