फ़रवरी

फ़रवरी की यादें।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 01 May, 2022 | 1 min read
February

तुम्हें फ़रेब कहूँ या फ़रवरी,

यह कहना तो मुश्किल है...

जो भी हो... सच कहूँ तो... 

तुम्हारे पास ही मेरा ये दिल है।।


एक वक़्त था जब तुम्हारी आहट से

दिल धड़काता था...

कुछ लाल ग़ुलाब,

रंग बिरंगे कागज़ों में लिपटे हुये,

एहसासों से दिल महकता था।।


कहीं ना कहीं अब भी दिल में, 

उन यादों की महफ़िल है,

दिल फ़रेब फ़रवरी,

अब भी तुम्हारे पास मेरा दिल है।।


दिल ग़ुलाब, मौसम ग़ुलाबी,

हर शय ग़ुलाबी हो जाती थी... 

फ़िर वक़्त गुज़रा, 

फ़रवरी का इश्क़ भी गुज़र गया...

जब समझ आयी कुछ 

तब हमारी रूह ज़िन्दगी से इश्क़ फरमाती थी।।


एक टीस का फ़िर भी कहीं

एक छोटा सा तिल है...

सुनों ग़ुलाबी से फ़रवरी

तुम्हारे पास अब भी मेरा दिल है।।

Note: It's a late post.

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