शहर मेरा

शानदार अनुभव paperwiff के साथ। एक शाम में अपने शहर की तफरी करने का मौका मिल गया। on the spot poetry challange में मेरी एक कच्ची सी रचना।

Originally published in hi
Reactions 2
440
Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 11 Oct, 2020 | 0 mins read
On the spot poetry challange.

याद आता है मुझे शहर मेरा,

जहाँ नन्हा सा है एक घर मेरा।।

मेरे शहर में मेरे अपने रहा करते हैं,

मुझसे बातें खामोशी से भी करा करतें हैं।।

बड़ा नायाब सा रहा था सफर मेरा,

ऐसा बेखौफ था शहर मेरा।।

सदा खुला रहता था घर मेरा,

ना झुकाता था कभी सर मेरा,

ऐसा था दर मेरा...

बड़ा दरियादिल था शहर मेरा।।

सड़कें मेरी दीवारों दर मेरा,

सुकून भरा छोटा सा शहर मेरा।।

हर लम्हा था प्यार से भरा मेरा,

ऐसा दुआओं से भरा था शहर मेरा।।

हर गली मेरी अपनी थी,

दोस्तों का हर घर था मेरा...

ऐसा अपना सा था शहर मेरा।।

दूर बैठे याद आता है बहुत,

वो खुदा का घर मेरा...

ऐसा मंदिर सा था शहर मेरा।।




2 likes

Published By

Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.