आदमी सड़क का..

अपनी तकदीर से लड़ने का हुनर रखता है, बड़ा ढीठ है आदमी सड़क का, अपनी फकीरी में भी अकड़ता है।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 15 Dec, 2020 | 1 min read
Be kind, they are also human.

ये शहर हमारा है,

खुदा का घर हमारा है, 

सड़क किनारे सिकुड़े हुए,

दिन का हर पहर हमारा है।।

सीली दोपहरी का,

ये ठंडा अलाव हमारा है।।

कोई क्या देगा हमको,

हमें खुद का सहारा है।।

दो जून की रोटी के आस में,

दिन काटता आवारा है।।

भटकते हुए , अपने जिस्म के ईंधन से,

ये जलता नाकारा है।।

ना कहना हमसे,

ठंड में तड़पता बेचारा है।।

तुम्हारी ये आह!! की हमें आस नहीं,

ये सुलगाती अंगारा है।।

आदमी हूँ सड़क का मैं,

जीवन सड़क पर गुज़ारा है।।

चार दीवारें मेरी, मेरा अम्बर..

हमें तो बस सड़क का सहारा है।।

पीर को दोहराता नहीं,

बस दुहरा हो लड़ता,

सड़क का सितारा है।।


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Shubhangani Sharma

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