इंटरसिटी

कई बार किसी का सफर, किसी सफर में ही अधूरा रह जाता है। ऐसे ही एक अधूरे सफर की कहानी....

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 01 Nov, 2020 | 1 min read
An incomplete journey

ऑटो स्टेशन के बाहर रुकता है। शाम हो चुकी थी, वह जल्दी से ऑटो से उतरकर प्लेटफार्म नम्बर 3 की ओर भागती है। आज गज़ब का सन्नाटा था यहाँ। उसने देखा प्लेटफॉर्म पर ट्रेन पहले से ही खड़ी थी। उसने बड़े अक्षरों में लिखा नाम पढ़ा, Intercity और चढ़ गयी ट्रैन में।

जिस डिब्बे में वह थी वहां बहुत कम लोग थे। नेहा खिड़की के पास खाली जगह पर बैठ गयी। उसके साथ की सीट पर एक नोजवान बैठा हुआ था, बेहद आकर्षक।

उसने उस युवक से पूछा कि वह कहां जा रहा है। उसने जवाब में बताया कि वह इंदौर जा रहा है और उसका नाम रवि है। वह भी भोपाल से चढ़ा था। यह सुन वह प्रसन्न हो गयी कि चलो सफर के लिए अच्छा साथ मिल गया।

वे दोनों एक दूसरे से बातें करने लगे। सभी आते जाते लोग उन्हें संदेह भरी दृष्टि से देख रहे थे। हालांकि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आज के दौर में लड़के लड़की के बात करने में क्या बुराई है। और लड़का था भी शालीन और सभ्य। खेर ट्रैन कई स्टेशन पार करते हुए आगे बढ़ रही थी और उनकी बातें भी। दोनों ने अपना फ़ोन नम्बर भी साझा किया। नेहा प्रसन्न थी रवि से बात करके। पर उसे सबकी दृष्टि खल रही थी। एक चाय नाश्ता वाला भी उसे घूर घूर के देख रहा था। धीरे धीरे ट्रैन खाली हो गयी अब उस डिब्बे में सिर्फ नेहा और रवि थे। नेहा थोड़ा असहज थी परन्तु रवि की सज्जनता देख वह निश्चिंत हो गयी। तभी चाय वाला फिर वहां आया। उसने नेहा से कहा, "मैडम जी आप उतर नहीं रही ट्रैन से?"

नेहा ने कहा उसे तो इंदौर जाना है। अभी इंदौर स्टेशन कहाँ आया है जो वो उतर जाए।

चाय वाले ने कहा, " मैडम ये आखिरी स्टेशन है, रतलाम।"

नेहा बोली, " मैं तो भोपाल इंदौर इंटरसिटी में बैठी थी।"

चाय वाला, "मैडम आप इंटरसिटी में तो बैठी हैं पर ये भोपाल रतलाम इंटरसिटी है, पिछले साल भी एक लड़का गलती से बैठ गया था और जब उसे पता चला तो इतनी सी बात से उसे हार्ट अटैक आ गया।"

नेहा घबड़ाकर उसे एक टक उसे देखती रहती है। वह कहती है, " मेरे साथ जो लड़का बैठा था उसे भी तो इंदौर जाना है, वो आ जाये तो हम साथ दूसरी ट्रैन ले लेंगें।"

चाय वाला कहता है, " क्या मैडमजी इतनी देर से हम आपको देख रहे थे। खुद से ही बातें कर रही थीं। कहां कोई आपके साथ बैठा हुआ था? हम तो आपको पागल समझ रहे थे।"

यह सुन नेहा के पैरों से जमीन खिसक गई।झटपट ट्रेन से उतर कर स्टेशन मास्टर से ट्रेन के बारे में जानकारी ले दूसरी ट्रेन की ओर बढ़ पड़ती है। ट्रेन में बैठ कर जैसे तैसे अपने घर, रात के 3:00 बजे पहुंचती है।

घर पहुंच कर उसका दिल थोड़ा शांत हो जाता है जो पिछले कुछ घंटों से तेज़ी से धड़क रहा था। पर अभी भी वह डरी हुई थी उसके दिमाग में एक ही बात चल रही थी कि उसके साथ वह लड़का बैठा था जिसका नाम रवि था उसका क्या हुआ?

तभी उसका फोन बचता है और फोन पर नाम लिखा हुआ था रवि...

नेहा झटपट फोन उठाती है। वहां दूसरी तरफ से आवाज आती है, "तुम घर पहुंच गयीं? मैं तो यहीं ट्रेन में हूं..."

नेहा के हाथ से फ़ोन गिर जाता है..…..








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