Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 14 Sep, 2020
संघर्ष: रस्साकशी
मैं परेशाँ तो हूँ, पशेमाँ नहीं, हूँ मैं ठहरी हुई, हूँ मैं हैराँ नहीं। रस्साकशी चलती रहे चाहे उम्र भर, मैं कुछ वक़्त के लिए थक सकती हूँ, पर मुझे हराना आसाँ तो नहीं।।

Paperwiff

by shubhanganisharma

14 Sep, 2020

आसाँ नहीं।

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.