Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 19 Sep, 2020
न्याय
गर न्यायप्रिय हो तो अपने चक्षुओं को खोल दो, सच जो है कैद झूठ के आगोश में, उसकी गिरह आहिस्ता से खोल दो।।

Paperwiff

by shubhanganisharma

19 Sep, 2020

सच की मुक्ति, झूठ से।

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