मुश्किल की अजब घड़ी

#प्रकृति #corona #covid19 #enviroment #contest

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Shorabh Bairagi
Shorabh Bairagi 06 May, 2020 | 0 mins read

प्रकृति की अभिलाषा को,

मानव की मर्यादा को

क्यों तुम बिगाड़ रहे हो,

क्यो तुम उजाड़ रहै हो।

अब तो समझ ए प्राणी तू,

इस कदर नादान ना बन

इतना तू हैवान ना बन,

इस प्रकृति से खिलवाड़ ना कर ।

जो उजड़ जाए संसार ये अपना,

फिर ना कोई कांधा देने वाला होगा

ना कोई तुझ पर रोने वाला होगा,

एक अदृश्य जीव ने आकर।

मचा दिया हैं कोहराम इस संसार मे,

मचल रहा है करने को सर्वनाश वो

घर में रहकर खुद को बचाना है,

अब इसको सबको मिलकर हमें हराना है।

विनाश जो हमने झेला है,

प्रकृति ने खेल अजब ये खेला है।

मुश्किल की ये अजब घड़ी हैं,

घर के बाहर मौत खड़ी हैं।

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