मानव

एक छोटी सी कविता वृन्दा मैम और मिथुन सर को समर्पित। दोंनो ही बहुत प्यार से समझाते हैं, शुक्रिया ऐसा प्लेटफार्म हमें प्रदान करवाने के लिए। ऐसे ही मेहनत और शिद्दत से इसे आगे बढ़ाते रहें, हम सब की दुआएं आप दोंनो के साथ हैं।

Originally published in hi
Reactions 2
377
Shilpi Goel
Shilpi Goel 26 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems hindi poetry

मानव तू है जल सा कोमल

तुझमें मात-पिता सी है ममता।

मानव तू है जल सा संहारक

तुझमें शक्ति सी है दृढ़ता।

मानव तू है जल सा पावन

तुझमें बसी है सहनशीलता।

मानव तू है जल सा निश्छल

तुझमें सियाराम सी शीतलता।

मानव तू है जल की धारा

बहता रहता समय समान।

मानव तू है जल सा गहरा

तुझमें छुपा प्यार का भण्डार।

मानव तू जल सा अनिवार्य

तेरे बिना घर ना बनता मकान।

मानव तेरी जल सी रहमत

तू देता है सबको सम्मान। 

मानव तू है जल सा अर्पित

करूँ तुझे यह नमन समर्पित।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

2 likes

Published By

Shilpi Goel

shilpi goel

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.