पिता

पिता का साया जैसे पेड़ की ठंडी छाया।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 13 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems moments hindi poetry

लिखा है हम सबने माँ को

किसी ने ना लिखा पिता को;

आँसू दिखते माँ के सबको

कोई ना समझा पिता को;

माँ की ममता कोमल होती

पिता का प्यार नारियल सा;

माँ समेटती अपने आँचल में 

पिता खुद बन जाता ठंडी छाँव;

भूलकर सारे सपने अपने 

निभाता जिम्मेदारियाँ हर बार;

पिता ही है जिसकी डांट में भी

छिपा होता है प्यार बेशुमार;

खुद के लिए कुछ ना मांगता 

करता पूरा हर कार्य भार;

परी है बिटिया जिसके राज में 

बेटा होता हर गम का राजदार;

बेटी की विदाई पर जो पिता

छुपा जाता अश्रुओं का भण्डार;

जरूरत है हम समझें उनको

दें उनको एक सुखद संसार।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

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Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    पिता पर लिखित खूबसूरत कविता

  • Shilpi Goel · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया

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