लिखा है हम सबने माँ को
किसी ने ना लिखा पिता को;
आँसू दिखते माँ के सबको
कोई ना समझा पिता को;
माँ की ममता कोमल होती
पिता का प्यार नारियल सा;
माँ समेटती अपने आँचल में
पिता खुद बन जाता ठंडी छाँव;
भूलकर सारे सपने अपने
निभाता जिम्मेदारियाँ हर बार;
पिता ही है जिसकी डांट में भी
छिपा होता है प्यार बेशुमार;
खुद के लिए कुछ ना मांगता
करता पूरा हर कार्य भार;
परी है बिटिया जिसके राज में
बेटा होता हर गम का राजदार;
बेटी की विदाई पर जो पिता
छुपा जाता अश्रुओं का भण्डार;
जरूरत है हम समझें उनको
दें उनको एक सुखद संसार।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
Comments
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पिता पर लिखित खूबसूरत कविता
शुक्रिया
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