जज़्बात

गैरों को भी अपना समझने की गलती कर बैठते हैं। ज़ज्बात ही तो हैं जो ऐसी मासूमियत कर बैठते हैैं।।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 28 May, 2021 | 1 min read
feeling

आज फिर देखा है मैंने एक धुंधला सा सपना

कहते हैं कोई तो होता है इस जहाँ में अपना।


जिसका हाथ थामकर बस यूँ ही चलते जाते हैं

एक छोर से दूसरे छोर पर हम ऊँचे उड़ जाते हैं।


पहचान करवाता है वह हमसे हमारे अक्स की

दिखाता है एक नई राह मुश्किलों से उबरने की।


कहता है दिल जब तक वह होगा साथ मेरे

जोड़े रखेगा मुझको मेरे जज्बातों से गहरे।


जाने फिर भी क्यों एक उदासी सी छा जाती है

यूँ ही अनायास यह आँखें छलक सी जाती हैं।


मन को संभालते संभालते थक जाता है शरीर

फिर भी ये मन के विचार नहीं होते कहीं स्थिर।


कहती है दिमाग से दिल की यह मासूमियत

पूरी होगी तेरी कोशिश,तुझमें है ऐसी क़ाबिलियत।


मैंने चाहा गिरना भी पर गिर ना सका कभी

था हौसला मजबूत इतना रूक ना सका कभी।


हिम्मत ही तो मन की एक ऐसी गहरी खाई है

जिसने अंतर्मन में यहाँ हज़ारों उम्मीदें बसाई हैं।


इसीलिए कहते हैं, कोई तो होता है अपना यहाँ

जो टूटने नहीं देता उम्मीद और हौसलों के मकाँ।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)





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