नशा एक श्राप

नशा एक श्राप सा ले डूबता है भविष्य आपका

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Shilpa Singh Maunsh
Shilpa Singh Maunsh 12 Jan, 2021 | 1 min read

उसकी बेवफाई की दलीलें दे देकर तुमने शराब को लगे लगाई थी,

वो शराबी ये बता उस शराब ने कौन सी तेरे साथ हैं वफाई की,


जब घूंट गले से नीचे उतरा तो उसने तेरी हर जख्म की तो भर पाई की,

लेकिन खोल दिए राज़ सारे जिसे तूने आज तक खुद से भी छुपाई थी,


चलो मान लेती हूं वो सनम बेवफा निकली दिल तेरा तोड़ा भी होगा,

किसी और के खातिर तुझे बीच मझधार में लाकर छोड़ा भी होगा,


मगर तू क्या कर रहा है उसके जाने के बाद,

जाम के दो घूंट और सिगरेट के दो कस में उड़ा रहा हैं अपने अपनों के हर जज़्बात,


जिसे तूने पाला है नाजों से देख रहे है तुझे पड़े आज बदहवास,

सोच जरा उनके बारे में जिन्हें सपने दिखाएं थे तुमने , आज वो सारे सपने उड़ गए उस सिगरेट के धुंए के साथ,


सांसे तेरी अब थमने लगी है तू भी जरा थम जा,

ये जो जाम है हाथों में तेरे उनके घूंट अब कम ही गया,


सम्भल गया अगर तो अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है,

वो खुश है अगर तेरे बिना तो तू क्यूं आज भी वही खड़ा है,


लौट आ तू अब अपने खुद के पास, खुद को जरा संवार ले,

आईने में देखता था चेहरा उसका हर रोज नशे के बाद, आज खुद को ज़रा प्यार से बस एक बार निहार ले,


फिर भी अगर तुझे लगे जरूरी है दो घुट जाम के,

बेशक शौख से अपने यारो संग दो पैग लगा किसी शाम उस बेवफा के नाम के।।


Composed by ... Shilpa Singh Maunsh




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