स्पेशल चैंबर

संदेश देती एक कहानी

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Shelly Gupta
Shelly Gupta 03 Dec, 2019 | 1 min read

बहुत खुश है सोहन आज, एक छोटे से गांव के लड़के का आज विदेश की धरती पर कदम रखना कितनी बड़ी और मुश्किल बात है ये वही जानता है जिसने इसकी कोशिश की हो। इसे हासिल करना आसान नहीं था। बड़ी तपस्या की थी सोहन ने इसके लिए। उसके मां पिताजी भी उसके विदेश जाने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि उन्होंने सोहन को इसलिए नहीं पढ़ाया था कि वो अपनी काबिलियत का फायदा विदेशियों को पहुंचाए बल्कि इसलिए पढ़ाया था कि वो इस पढ़ाई से अपने गांव, अपने देश का फायदा करे। वैसे भी गांव में उनकी अच्छी खासी ज़मीन और अच्छा बड़ा घर था पर सोहन ने उनकी नहीं अपने मन की मानी।

सोहन ने ऑफिस जाना शुरू कर दिया था और साथ ही साथ थोड़ा बहुत शहर घूमना भी शुरू कर दिया था। कितना अच्छे से सब मेंटेन करके रखते है ये विदेशी लोग। पुरानी बिल्डिंगों को भी ऐसे सहेज के रखा है कि सब अपने इतिहास को खुद ही बता देती सी प्रतीत होती है जबकि अपने यहां तो सब टूटती फूटती जाती है और कोई ध्यान नहीं देता। सफाई भी कितनी है, हर जगह डस्टबिन लगे हुए हैं और साथ ही साथ कूड़ा फैलाने पर जुर्माना भी। काश हमारे यहां भी यही लागू हो जाता।

पर एक चीज जो उस पसंद नहीं आ रही थी वो थी वहां की आबो हवा । बहुत अधिक वाहन होने के कारण वहां बहुत प्रदूषण था और उसे तो कई बार लगने लगता था कि उसका दम सा घुट रहा है। उसे ये भी लगता था कि शायद उसे गांव की शुद्ध हवा की आदत है इसलिए उसे एडजस्ट करने में ज्यादा दिक्कत भी आ रही है। पर इतनी सी परेशानी को तो वो सहन कर ही सकता है जब इतनी सारी खुशियां मिल रही हों।

थोड़े दिन सोहन के बहुत अच्छे से निकले, खूब घुमा फिरा वो, ऑफिस में भी अच्छे से सेट हो गया पर फिर वो बीमार पड़ गया। कुछ दिन तो उसने थोड़ी बहुत दवाईयां जो वो अपने साथ लाया था उसी से ठीक होने कोशिश की पर खांसी थी कि जाने का नाम ही नहीं ले रही थी। फिर सोहन अपने दोस्त के साथ डॉक्टर के पास गया। 

डॉक्टर ने कहा ये खांसी आप की दवाइयों से ठीक नहीं होने वाली। ये यहां के वातावरण के कारण हुई है और इसका अलग इलाज है जो थोड़ा महंगा और लंबा है। सोहन अपनी खांसी से बहुत परेशान था तो मरता क्या ना करता उसने हां कर दी। डॉक्टर ने पन्द्रह दिन का इलाज बताया और सारी फीस एडवांस में ले ली। फिर थोड़ा सा नेबुलाइज करने के बाद वो एक स्पेशल चैंबर में सोहन को ले गए।

चैंबर के अंदर जाते ही सोहन बुरी तरह चौंक गया। ऐसा लग रहा था कि जैसे वो अपने गांव में वापिस खड़ा है। तभी उसके कानों में डॉक्टर की आवाज़ आई - ये हमारा स्पेशल चैंबर है जो हमने इस प्रदूषण के इलाज के लिए बड़ी मुश्किल से और बड़े खर्चा करके बनाया है। यहां के प्रदूषण में इसे मेंटेन करना बहुत मुश्किल है इसीलिए ये इलाज बहुत महंगा है।

अब सोहन को अपने ऊपर बहुत गुस्सा आया। जिस हीरे की तलाश में वो विदेश आया था वो हीरा तो उसके अपने घर में ही मिला। लेकिन शायद यहां आना भी उसका बहुत जरूरी था क्योंकि तभी उसे हीरे की कद्र समझ आई। उसने ठीक होते ही गांव वापस जाने का निश्चय कर लिया और ठान लिया कि आगे की सारी तरक्की उसका गांव भी उसके साथ ही करेगा।

धन्यवाद।

शैली गुप्ता

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Shelly Gupta

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