इज्जत की गठरी

नारी जीवन की कहानी

Originally published in hi
Reactions 0
326
Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 04 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems



बिना उससे पूछे 

बिना कुछ सोचे 

बांध दी जाती है 

उसके सर पर 

इज्जत की गठरी 

दोनों परिवारों द्वारा 

जिसे ताउम्र ढोती रहती है 

अनगिनत समझौते 

अनगिनत वेदना 

अनगिनत यातना

चुप होकर सहती है 

कितने ही ख्याबों को 

दफन कर देती है 

कितने ही सपनों का

गला घोट देती है 

कितने ही अरमानों को 

पैरों तले रौंद देती है 

चेहरे पर मुस्कराहट और 

नैनों में अश्कों की धार लिये 

फिर भी तरसती रहती है 

उन्हीं अपनों से 

तारीफ के दो शब्द सुनने को 

हाय रे नारी! 

ये इज्जत की गठरी 

बस तेरे हिस्से क्यों आई 

समझकर इस बात को 

अगर इंकार कर बैठी 

उन बेतुके नियमों से 

तकरार कर बैठी 

तो बेशर्म और बेहया कहलाई 

ये कैसी किस्मत पाई |

  -सीमा शर्मा "सृजिता"

0 likes

Published By

Seema sharma Srijita

seemasharmapathak

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.