"मम्मा विंटर वैकेशन हो गई है अब तो हम चलेंगे ना नानी के घर कब से नहीं गए |" रितिका के बेटे यश ने कहा भाई की बात सुनकर छोटी सी परी भी जिद करने लगी |रितिका हर वैकेशन में अपनी मम्मी के घर जाती है उससे ज्यादा तो उसके बच्चे उत्साहित होते हैं नानी के घर जाने को |हर बार तो रितिका भी 4 दिन पहले से ही पैकिंग करना शुरू कर दिया करती थी लेकिन इस बार तो वह सोचने में लगी थी मन नहीं था उसका घर जाने का जब से दादी गई है घर नहीं गई वो |पिछली सर्दियों में तो दादी थी लेकिन इस बार तो दादी का वह कमरा खाली ही मिलेगा जो रितिका का भी कमरा था |
बच्चे ज्यादा जिद कर रहे थे तो रितिका भी तैयार हो गई हसबैंड बिजी थे तो ड्राइवर से कह दिया उन लोगों को छोड़ने के लिए |बच्चों ने नानी नानू को फोन करके बता दिया था कि सब आ रहे हैं बहुत खुश थे बच्चे लेकिन रितिका के चेहरे पर उदासी थी| डेढ़ साल की थी रितिका जब उसके भाई का जन्म हुआ था |भाई के आने के बाद रितिका की सारी जिम्मेदारी दादी पर आ गई |दोनों ही बच्चे छोटे होने के कारण मम्मी ने रितिका को दादी के पास ही सुलाना शुरू कर दिया |सुलाने से लेकर खाना पीना नहलाना सब काम दादी करती थी क्योंकि रितिका दादी के अलावा किसी को कुछ करने ही नहीं देती थी |मम्मी पापा कहीं भी जाये रितिका दादी के पास ही रहती थी उस घर में सबसे ज्यादा प्यार रितिका अपनी दादी से ही करती थी और दादी की भी उसमें जान बसती थी |रितिका का कुछ भी खाने का मन होता दादी जिद करके मम्मी से वही बनवाती |रितिका की खुशियों की पिटारी थी उसकी दादी |अभी 7 महीने पहले ही दादी उसे हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई थी | रितिका बचपन से लेकर अपनी शादी तक दादी वाले कमरे में रही यहां तक कि शादी के बाद भी जब भी मायके जाती उसी कमरे में सोती |मम्मी कहती थी रितिका आजा हमारे कमरे में सो जा लेकिन रितिका कहती मम्मी आप बच्चों को सुला लो मुझे तो दादी के पास ही सोना है मुझे तो इसी कमरे में नींद आती है |रितिका छोटी बच्ची बन जाती थी और अपनी दादी के पास सो जाती ऐसा लगता जैसे कुछ दिन के लिए अपना बचपन जी लेती |दादी के लिए भी वह कभी बडी़ नहीं हुई उनकी फिक्र उसके लिए उनकी परवाह शादी के बाद भी वैसे ही थी जैसे छोटी रितिका के लिए हुआ करती थी |दादी ही थी जिनके लिए वह बच्ची थी और रितिका भी उनके लाड़ प्यार में बच्ची बन अपना बचपन जी लेती|
"मैडम जी आपका घर आ गया " ड्राइवर ने कहा |बच्चे दौड़कर दरवाजे के बाहर खड़े नाना नानी से लिपट गये |रितिका जैसे ही घर के अन्दर घुसी उसकी आंखों से झर-झर आँसू बहने लगे वो उस अंगीठी को ढूँढने लगी जिस के सामने बैठ कर दादी अपने हाथ सेकती थी |सर्दियों में जब भी रितिका घर आती थी दादी अपनी अंगीठी को जलाकर तैयार रखती थी कहती थी मेरी गुडडो ठंड में आ रही है बीमार पड़ जायेगी थोड़ी देर यहां बैठ जायेगी हाथ सेंक लेगी तो सर्दी से आराम मिल जायेगा |सर्दियों में ऐसा एक भी दिन नहीं जाता था जब रितिका स्कूल या कॉलेज से वापस आये और ठीक उसके आने से पहले दादी अपनी अंगीठी जलाकर न बैठे |रितिका का मन नहीं भी होता था तो भी जिद करके दादी अपने पास बिठाती और हाथ पैर सेंकने को कहती |उसे हरवक्त यही फिक्र रहती कि रितिका को जुकाम न हो जाए क्योंकि जब रितिका को जुकाम होता था तो बहुत परेशान हो जाती थी और दादी से यह देखा न जाता था |शादी के बाद भी सर्दियां शुरू होते ही दादी फोन पर बस यही कहती कि ठंड बहुत पड़ रही है अंगीठी जला लिया करना बेटा तुझे बहुत जल्दी सर्दी जुकाम हो जाता है |रितिका के पास थी नहीं ससुराल में अंगीठी वहां तो हीटर इस्तेमाल होता था लेकिन फिर भी दादी का दिल रखने के लिये बोल दिया करती थी कि ठीक है दादी |
रितिका सोचने लगी कि आज भी अगर वो होती तो अंगीठी जलाकर इंतजार कर रही होती मेरा और मैं भी बहुत ठंड हो रही है दादी अच्छा हुआ आपने अंगीठी जलाकर तैयार रख ली ये कहकर उनसे लिपट जाती यहीं आंगन में तो रखी रहती थीं | घंटो यहीं बैठते थे सब |आज कितना सूना लग रहा है |मम्मी बैठक की तरफ बुलाकर ले गई उसे और थोड़ी देर बाद भाभी चाय नाश्ता भी ले आई |रितिका ने पूछा " मम्मी दादी की अंगीठी नहीं जलाई आपने कितना ठंडा मौसम हो रहा है |" तो भाभी ने जबाब दिया दीदी आप हमारे कमरे में बैठ जाइये वहां हीटर भी है | रितिका बोली नहीं कोई बात नहीं है मैं ठीक हूँ |
रितिका का सामान उसी कमरे में रखा गया जहां हर बार रखा जाता था |थोड़ी देर बाद कपड़े बदलने के बाद रितिका ने मम्मी से पूछा कि आपने कहां रख दी है वो अंगीठी बता तो दीजिए तो उन्होंने बताया कि बहु ने छत पर रख दी है |मम्मी और भाभी लग गयी रात के खाने की तैयारी में बच्चे अपने मामा के साथ वीडियो गेम खेलने में व्यस्त हो गये और रितिका बैठी थी दादी और अपने उसी कमरे में दादी की अंगीठी जलाकर |आंखों में आँसू थे और हाथ सेंकते हुये कमरे की दीवार पर टंगे दादी के फोटो से कह रही थी देखो दादी अब नहीं होगा जुकाम मैंने अंगीठी जला ली है |
माँ बेटी की तरह ही दादी पोती का भी रिश्ता दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता होता है |कुछ घरो में लड़कियां अपनी माँ से ज्यादा अपनी दादी के करीब होती हैं |रितिका की तरह ही मैं भी अपनी मम्मी से ज्यादा अपनी दादी के करीब थी | वो नहीं है इस दुनिया में अब लेकिन मेरे विचारों में मेरे संस्कारों में आज भी झलकती है उनकी झलक |मैं भी बहुत याद करती हूं अपनी दादी को |
दोस्तों रितिका और मेरी ही तरह अगर आपका भी रिश्ता था अपनी दादी के साथ कुछ खास और आज भी करते हैं आप अपनी दादी और उनसे जुड़ी हुई कुछ खास चीजों को याद तो मुझे कमेंट करके बताइये और मेरी ये कहानी पसन्द आई हो तो लाइक कीजिये |आप मुझे फॉलो भी कर सकते हैं |
धन्यवाद |
सीमा शर्मा "सृजिता"
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