स्मृतियों के झरोखों से

गुजरे जमाने की याद दिलाती कुछ पंक्तियां

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 06 Feb, 2021 | 1 min read




आज भी जब कभी झांकती हूं 

स्मृतियों के झरोखों से, तो कुछ 

 कुछ प्यारी सी स्मृतियां उभर उठती है 

मेरे मस्तिष्क पटल पर और सराबोर करती 

मेरे हदय को ले जाती हैं मुझे उस रंगों भरी 

खूबसूरत सी दुनिया में जहां 

मौहब्बत भरी नदियां बहा करती थीं 

खुशियों की चांदनी रातें हुआ करती थी 

अपनापन था, अल्हड़पन था 

बेफिक्री थी, थोडा़ पागलपन था 

जिन्दगी का हर लम्हा रोशन था 

कितना प्यारा वो मासूम बचपन था 

कपट और मतलबपरस्त दुनिया से कोसों दूर 

खिलखिलाती मासूम हंसी से भरपूर 

ना कोई लालच था ना कोई बडी़ ख्वाहिश

 छोटी छोटी बातों में खुशियों की बारिश थी 

वो तितलियों के पीछे मदमस्त होकर भागना 

गुड्डे और गुड़िया की शादी रचाकर मुस्कराना 

दिन भर खेल कूदकर मां के आंचल में छुप जाना 

अपनी ही अलग एक दुनिया बनाना 

आज भी जब कभी झांकती हूं

 स्मृतियों के झरोखों से ,तो

पहुँच जाती हूँ बचपन वाले प्यारे जहां में 

और याद कर लेती हूँ हर लम्हे को 

आंखों में नमी और चेहरे पर मुस्कराहट लिये |

सीमा शर्मा " सृजिता "




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Seema sharma Srijita

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