यूहीं नहीं रचा जाता साहित्य....

कैसे रचा जाता है साहित्य... बताती इक रचना

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Seema sharma Srijita
Seema sharma Srijita 05 Feb, 2021 | 1 min read
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यूं ही नहीं रचा जाता साहित्य..... 


जब उफनते है मन के भाव 

पीडा़ की ज्वाला से 

बनती है कोई कविता 


जब सराबोर होता है मन

सुख की रंग बिरंगी लहरों से 

तो रचा जाता है कोई गीत 


जब टूट जाता है कोई प्रेमी 

प्रेम में मिले जुदाई के गम से 

तो बन जाती है कोई ग़ज़ल 


जब बिखर जाता है 

किसी का जीवन कोरे पन्नों पर

तो रची जाती हैं कहानियां 


जब महकते हैं गुलशन 

दो फूलों के मधुर मिलन की 

रूमानी खुशबुओं से 

तो लिखे जाते हैं उपन्यास 


इक दिन विलीन हो जाती है 

हर आत्मा परमात्मा में 

जब उजागर होता है ये सत्य 

तो गढे़ जाते हैं ग्रन्थ 


केवल आंखों से ही नहीं 

हदय की नजरों से 

जब देखी जाती है दुनिया 

तब रचा जाता है साहित्य..... 


   -सीमा शर्मा "सृजिता "

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