रूठा रूठा सा मन है मना ले मुझे |
अपनी बाहों में फिर से छुपा ले मुझे |
आंख में यूं तो आंसू भरे हमसफर
मन है हंसने का फिर से हंसा ले मुझे |
तेरी आगोश में ही सुकून -ए-सनम |
आकर अपने गले से लगा ले मुझे ||
टूटता जा रहा दिल तिरी बेरूखी से |
तु है साथ हरदम समझा ले मुझे ||
तिरी इक खुशी के लिए मिट हम चुके
कम से कम पूछ ले दिल -हाले मुझे ||
तु ही उदासियों में डूबो देगा मुझको
कौन आकर के फिर संभाले मुझे ||
नजदीक आ और बन जा मिरा
अपनी रूह में तु समा ले मुझे ||
तेरे बिन जाने-जाना मैं कुछ भी नहीं
अपनी धड़कनों में बसा ले मुझे ||
रोम- रोम में 'सृजिता' खुशबु -ए-सनम
बनाके अपना फिर महका ले मुझे ||
सीमा शर्मा " सृजिता"
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.