जल
मैं हूँ मिट्टी के घड़े का जल ,
बुझाता हूँ प्यासों की प्यास हर पल,
मिलता हूँ मैं घर घर और कभी सड़क किनारे
भी मिल जाता हूँ ,
भीनीभीनी ख़ुशबू से महका देता हूँ मैं शीतल जल।
रंगहीन जल है मेरा पर गुणों से है भरपूर,
बूँद बूँद बचा लो मेरा , मैं हूँ तो है ये कल ।
Paperwiff
by saritachawla