दिल और ज़िम्मेदारीयाँ

दिल और ज़िम्मेदारीयाँ

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 24 Aug, 2021 | 1 min read

ये दिल मेरा न जाने कब क्या कर जाएगा,

कब-तक देगा साथ ये मेरा कब डर जाएगा,


अनजाने से ज़ख्मों से छलनी तो अरसों से है,

कितना और सहेगा और कब ये बिखर जाएगा,


हर क़दम सोच-समझकर बेधड़क हो बढ़ाता है,

कब-तक रहेगा यूँ ही बेबाक, कब सिहर जाएगा,


अब तक दर्द में मुस्कुराना सिखाता रहा है ये मुझे,

न जाने कब किस ग़म में ये भी पूरी तरह तर जाएगा,


और अगर दिल पर ही हों सारी ज़िम्मेदारीयाँ “साकेत",

तो न जाने कब मेरे दिल का, मुझसे भी मन भर जाएगा।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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