जो कल मैं, मैं न रहा

क्या होगा जो कल मैं, मैं ही न रहा?

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 19 Jun, 2021 | 1 min read

बिखरेगा तो नहीं ख़्वाब मेरा? जो कल मैं, मैं न रहा,

समझेगा जमाना ज़वाब मेरा? जो कल मैं, मैं न रहा,


अब तक शानो-शौकत से जीता आया हूँ मैं ज़िन्दगी,

क्या बाकी रहेगा रूवाब मेरा? जो कल मैं, मैं न रहा,


आसमान पर छाने की ख़्वाहिश लिए बढ़ता रहा हूँ मैं,

चमकता रहेगा ये आफ़ताब मेरा? जो कल मैं, मैं न रहा,


कई फैसले किए, सही और गलत का तो कुछ पता नहीं,

आख़िर करेगा कौन फ़िर हिसाब मेरा, जो कल मैं न रहा,


अपने फैसलों पर भी अपने हक़ के लिए लड़ा है “साकेत",

कैसे आगे बढ़ेगा फ़िर इंकलाब मेरा? जो कल मैं, मैं न रहा।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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