नक्षत्र रोहिणी, तिथि अष्टमी और गहन अंधियारी अधरात,
मथुरा के कारागार में माँ देवकी ने जाया श्रीहरि को साक्षात,
आँधी-तूफानों ने स्वागत किया प्रभु का मृत्युलोक में पुरजोर,
पुष्पवर्षा करने लगे देवी-देवता सभी, हर्षोल्लास है चहुँ ओर,
दिव्य प्रकाश से भर गया कारागृह, मिटी नकारात्मकता गहरी,
टूटी बेड़ियाँ वसुदेव की, टूटे द्वार कारावास के व सो गए प्रहरी,
लीलाधर की प्रेरणा से वासुदेव देवकीसुत को नंदग्राम ले चले,
कि रहे यह आठवाँ पुत्र सुरक्षित, नंद और यशोदा के यहाँ पले,
गरज रहा आसमान ऐसे जैसे आनंदित हो नगाड़े बजा रहा हो,
तड़ित प्रकाश कर रहा ऐसे जैसे नंद गाँव की राह दिखा रहा हो,
माँ यमुना थीं उफान पर परन्तु वासुदेव को तो पार जाना ही है,
मिला है जो कार्यभार नारायण से स्वयं, उसे तो निभाना ही है,
त्रिलोकनाथ के चरणस्पर्श को माँ यमुना ने जो जलस्तर बढ़ाया,
पाते ही स्पर्श उनका, दो भागों में बँटकर आगे का मार्ग सुझाया,
शेषनाग फन को छत्र बनाकर, नारायण को वर्षा से बचाने आए,
अपने बालरूप स्वामी को, नंद ग्राम तक सकुशल पहुँचाने आए,
आततायी कंस के उद्धारक को वासुदेव, नंद बाबा को सौंप चले,
यशोदा पुत्री के रूप में अवतरित, योगमाया को संग ले लौट चले,
भोर भया तो बाजे करताल, ढोल ताशे और लगी बाजने शहनाई,
करने मनभावन हठलीला, नंद गाँव पधारे लीलाधर कृष्ण कन्हाई,
माखन मिसरी का भोग लगे है, झूलना झूलते लड्डू गोपाल हमारे,
तरे उनके दर्शन मात्र से जीवन सारा, तर गए हैं मानो भाग्य हमारे,
सुध नहीं किसीको काम काज की, दर्शन कर प्रभु के न अघाते हैं,
देवी-देवता, यक्ष-गंधर्व सब गोप व गोपीकाओं का वेश धर आते हैं,
उमा-महादेव, ब्रह्मा-सरस्वती भी पाते हैं शुभदर्शन नंद के लाल की,
दसों दिशाएं में गूँज रहा जय कारा, जय कहो का कन्हैया लाल की,
यमुना का तट लगा बाट जोहने कि नन्हें गोपाल सखा संग आएँगे,
कदंब का पेड़ आतुर है कि कब बंसीधर उसपर चढ़ बंसी बजाएँगे,
दही की हांडियाँ हैं अब से ही सोचतीं कि भाग्य कब हमारे जागेंगे,
लुकते छुपते नटखट गोपों संग कब माखनचोर द्वार हमारे आवेंगे,
मथुरा की गालियाँ बैठी हैं पलकें बिछाए कब वो शुभ घड़ी आएगी,
जब कंस के विनाश को, मनमोहन की सवारी इस ओर से जायेगी,
कुरूक्षेत्र है प्रतीक्षारत, कब वहाँ श्रीकृष्ण का विराट स्वरूप छाएगा,
कब होगी धर्मस्थापना एवं अर्जुन भगवद्गीता का अद्भुत ज्ञान पाएगा,
सब आशाएँ नन्हें नंदलाल से, देख जिन्हें मिटे तृष्णा अनंत काल की,
पुकार जिनका नाम रही ये सृष्टि सारी कि जय कहो कन्हैयालाल की,
देख जिन्हें आह्लादित हैं नंद बाबा, माँ यशोदा के उस बालगोपाल की,
श्रीराधारमण गोविंद की जय जय, जय कहो वृंदावन बिहारीलाल की।
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