मैं और मेरा अहम्

कौन चाहता था

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Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla 03 Jan, 2021 | 1 min read
#my_pen_my_strength

पाँव जकड़ा वक़्त ने, वरना रुकना कौन चाहता था,

बोझ बन बैठा अतीत, वरना झुकना कौन चाहता था,


सिर्फ़ ख़ुद पर रखकर भरोसा सफ़र में निकला था मैं,

अपने ही फैसले भारी पड़े, वरना टूटना कौन चाहता था,


न जाने कितने सपने संजोए थे, जागते हुए इन आँखों से,

नज़रों ने भटकाया वरना ख़ुद को लूटना कौन चाहता था,


हर बार ज़िन्दगी से हर दौड़, मैं यूँ ही जीत जाया करता था,

अहम् ने ही तारे दिखाए, वरना पीछे छूटना कौन चाहता था,


सिर्फ़ बड़ी बड़ी बातें करते रह गए तुम “साकेत" सबके सामने,

ख़ुद ने बनवाया तमाशा, वरना ख़ुद से रूठना कौन चाहता था।


BY:— © Saket Ranjan Shukla

IG:— @my_pen_my_strength

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Saket Ranjan Shukla

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