पल दर पल ख़ुद से दूर होता जा रहा हूँ,
जाने किस दुनिया में यूँ खोता जा रहा हूँ,
हर कुछ पता है और सबकी है ख़बर मुझे,
फ़िर भी अपने रस्ते बबूल बोता जा रहा हूँ,
पहली बार ऐसे हालातों से गुज़र रहा हूँ मैं,
सँभल पाने की पूरी कोशिश कर रहा हूँ मैं,
न चाहते हुए भी गलत राह पर चल पड़ा हूँ,
इसलिए शायद खो जाने से यूँ डर रहा हूँ मैं,
जाने क्यों हर ठोकर पर चूर होता जा रहा हूँ,
क्या वज़ह है जो ख़ुद से यूँ दूर होता जा रहा हूँ?
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
👏👏👏
बेहद खूबसूरत रचना
Very beautiful
👌👌
Khojo to Babbool bhi bahut nek baat sikhaaya hei, bano uski tarah aur logo ke kaam me aao... Dekho phir aage ka raasta.
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