मौन हैं शब्द मगर मुखर है भावनाएँ,
समझ सके समझ लें गहरी सी संवेदनाएँ,
विचारों की होती है गहरी अभिव्यक्ति,
तब निकलती ह्रदय से बनकर कविताएँ।
प्रेरणा रूप बन जाती हैं ये सदा सी,
निश्चल होती हैं ये सदा सरिता सी,
कल्पना के रथ पर आरूढ़ होकर
यह विचरती है सदा ही चंचला सी।
यह कभी दर्द की गहरी खाई में हैं जाती,
यह कभी समुन्द्र सा उफान जीवन में लाती,
कभी खुशियों के सागर में गोते लगाकर ,
कल्पना लोक जाकर यह सुन्दर संसार बनाती।
भावप्रवणता का न तोलो कभी तुम,
निर्णायक बनकर न बोलो कभी तुम,
नही जरूरी सभी उसके जीवन में घटित हो,
यह तो भावनाएं है न मोलो कभी तुम।
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उत्कृष्ट सृजन
बेहतरीन
अप्रतिम
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