बाबा के करेजा के टुकड़वा नू है,
आज भईली परायी।
अम्मा के आँखी के पुतरिया नू है,
आज भईली परायी।
द्वारे पर बाबा रोये,
अंगना में अम्मा रोये,
गले लगी रोये बहिनी,
ओसरा में भैया रोये।
आज लाडो भईली परायी।
गाँव गली भइले सूना,
सखि सहेली के मन भींगा,
बाग बगीचा के रौनक गइले,
अँगना के हलचल सूना,
आज बेटी भईली परायी।
बाबा बइठल चुपेचाप
गमछा से लोर पोछत।
अम्मा के अँचरा भी,
भींज गइल लोर पोछत।
करेजा के टुकड़ा बेटी भईली परायी।
के अब अम्मा अम्मा करी दिन रात,
के पूछी बाबा उदास बाड कवन बात,
के लड़ी भइया बहिनी से,
भौजी पूछत कैसे रहब ननद बिन
धिया आज भईली परायी।
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