कोई नही जिम्मेदार होता हमारी गलतियों का
हम,हमारी सोच और हमारी अपेक्षाएं,
सिर्फ यही होती हैं बस यही होती हैं।
जानते बुझते हम उसी राह में चलते,
चाशनी में डूबे लफ़्ज़ों से अक्सर पिघलते,
ना शिकवा कोई न शिकायत कोई,
बस चुभती बातें जैसे काँटे,
इसी से हम नही उबर सकते।
कोई नही जिम्मेदार होता हमारी गलतियों का...
भावनाओं के उठते ज्वार में खुद को बहाते,
डगमगाते कदम को नही संभाल पाते,
खुद की गलतियों से भी नही सबक लेते,
बस एक और गलती करके खुद को दर्द देते,
बस यही आदत जिसे नही सुधार पाते।
कोई नहीं जिम्मेदार होता हमारी गलतियों का...
रिश्तों के मायाजाल में खुद को उलझाते,
इसी भरम से नही उबर पाते,
कौन अपना कौन पराया यह समझने से बेहतर,
यह समझने से बेहतर खुद को प्यार नही जता पाते।
कोई नही जिम्मेदार होता हमारी गलतियों का।
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