चोट

रोज की चोट

Originally published in hi
Reactions 1
262
Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Jun, 2021 | 0 mins read

जब भी थोड़ा सम्भली,

जिंदगी ने एक नई चोट दी।

जब भी हँसने की वजह ढूंढी,

जिंदगी ने रोने के कई कारण दिये।

उफ्फ जिंदगी तेरे इतने सितम के बाद

ये चोट अब नही सही जा रहे।

बड़ी आसानी से लोगों ने जीने का नजरिया दिखाया,

हमने भी उसी आसानी से हर नजरिये को अपनाया।

टूटने की हजारों वजह के बीच में

खुद को जोड़ने की कोशिश हर बार सीखाया।

समेटते रहे खुद को हर हाल में

ये हिम्मत मनोबल हमने हर बार आजमाया।

पर अब ये दर्द सहा नही जा रहा,

जहर जिंदगी का पीया नही जा रहा।

या तो रब दर्द से निजात दिला,

या साँसों को निजात दिला।

टूटकर बिखर जाऊँ इससे पहले कुछ करिश्मा दिखा।

बस इतनी सी इल्तिजा है कि जीने की वजह मुझको दे जा,

या जिंदगी से जिंदगी ले जा।

1 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Deepali sanotia · 2 years ago last edited 2 years ago

    अप्रतिम

  • Ruchika Rai · 2 years ago last edited 2 years ago

    शुक्रिया दीपाली mam

  • Kumar Sandeep · 2 years ago last edited 2 years ago

    अनुपम रचना

Please Login or Create a free account to comment.