धरा की खूबसूरती और बढ़ाने के लिए,
रिश्तों को प्रेम रंग में सजाने के लिए,
बेटी,बहन,पत्नी,प्रेमिका मॉं ,फुआ,
रिश्तों के अनेक रूपों में भावों को
सदा ही दिखाने के लिए,
स्नेह,प्रेम,ममता,परवाह और फिक्र
जताने के लिए जरूरी होती हैं बेटियाँ।
पिता की सख़्ती को थोड़ा कम करने के लिए,
माँ के बोझ और गम को बाँटने के लिये,
भाई से प्रेम भरी नोंक झोंक तकरार के लिए,
प्रेमी के मनुहार के लिए,
पति पर रोक टोक और अधिकार के लिए,
उम्मीद और प्रेम के रंग को मिलाने के लिए,
परिवार की निश्चिन्तता के लिए जरूरी होती बेटियाँ।
बुढ़ापे में बेटों से हो रहे तिरस्कार से बचाने को,
बहुओं के उपेक्षा के दंश को मिटाने को,
असमर्थतता के अफसोस को हटाने को,
मुसीबत में माँ बाप संग ढाल बन रहने को,
दुनियावी दांव पेंच से दूर कर उन्हें समझाने को,
हारी बीमारी में सहारा बन खड़ा रहने के लिए,
खुशियों की धनक बिखेरने को जरूरी होती हैं बेटियाँ।
नव जीवन सृजन के लिए,
चिंतन और मनन कर पथ प्रदर्शन के लिए,
इंसानियत का मान सदा ही बचाने के लिए,
संस्कार और रीतियों को निभाने के लिए,
जीवन का सबक दे जाने के लिए,
दो कुलों के बीच बाँध बनाने के लिए,
दो परिवारों में मजबूत संबंध बनाने के लिए,
एक नए नजरिये से जीवन समझाने के लिए जरूरी होती हैं बेटियाँ।
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