वक़्त बदल रहा है

वक्त बदल रहा

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 28 Jan, 2022 | 1 min read

वक़्त बदल रहा है सुनती हूँ कई बार,

मगर कुछ प्रश्न मस्तिष्क में चल रहा है।


बेटा बेटी के समानता की है होती बातें,

गर्भपात और गर्भ परीक्षण करती आघातें

एक पुत्र के इंतजार में कई पुत्रियाँ होना

बोलो अभी भी कहाँ थम रहा है।


शहर से बाहर जाकर के जब हो पढ़ना,

अपना मनचाहा क्षेत्र जब हो चयन करना,

उठते हैं सवाल पर भी सवाल और बवाल,

कितनी लड़कियों को ये इजाजत मिल रहा है।


सरकारी विद्यालयों में दिखती जब कतारें

लड़कियों की दुगुनी दिखती हैं कतारें

एक ही घर के दोनों बच्चे,एक कान्वेंट, एक सरकारी

ऐसा क्यों भेदभाव जो हैं वो चल रहा है।


स्त्री श्रम का बहुत कम मूल्य आकलन,

एक सस्ते श्रमिक के रूप में होता चयन,

होता है बात बात पर उनका आर्थिक शोषण,

लड़का लड़की की समानता का ये कैसा उदाहरण।


उच्च शिक्षा के नाम पर बी ए,एम ए की पढ़ाई,

जल्दी शादी कर बोझ उतारने की लड़ाई,

कुलदीपक का बन जाते हैं सभी समर्थक,

ये स्त्री निरीह जल्दी है उनकी ब्याह जाए रचाई


घर बाहर दोनों की उठा लेती है जिम्मेदारी,

फिर भी घर के अंदर बनती हैं वो बेचारी,

मशीन बनकर दिन भर वो सबका करती,

थक जाती अपने लिए नही होती है तैयारी ।


कैसे कह दूँ की वक्त बदल रहा है

लड़का लड़की के बीच की खाई पट रहा है।

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Ruchika Rai

ruchikarai

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  • prem bajaj · 2 years ago last edited 2 years ago

    बहुत सुंदर एवं सटीक बात कही आपने 👏👏

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