नही आसान होता मन की पीड़ा से उबरना,
अपनी अधूरी कमियों को विस्मृत करना,
अपनी अधूरी चाहतों को नजरअंदाज करना,
गाहे बगाहे वो याद आती ही रहती हैं
मन में एक कसक एक ठेस पहुँचाती रहती हैं।
अनजाने ही सही मन के द्वार पर स्मृतियों का दस्तक,
छलनी कर देता ह्रदय को।
परन्तु उससे उबरना ,
उबर कर निखरना,
ये हुनर सीखना होता है।
यह हुनर आजमाती है ,परीक्षा लेती है,
सीख दे ही जाती है।
कई बार चोट गहरी ,छोटी सी बात पर ठहरी,
मुश्किलों से पूर्ण,
हमें तड़पाती है
रूलाती हैं
और बेचैन कर ही जाती हैं।
पर फिर भी उसको पार पाना,
कठिन को हराना,
विस्मृत नही होती जो यादें उनके साथ जिंदगी बिताना,
ये अनुभव खुद ही लेना,और उबरना
उबर कर फिर से नए सिरे से उभरना
सीख ही जाते हैं,
तभी तो जीवन में जीवंतता की बातें हम कर पाते हैं।
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मर्मस्पर्शी
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