स्त्री तेरे रूप अनेक

स्त्री

Originally published in hi
Reactions 0
283
Ruchika Rai
Ruchika Rai 06 Mar, 2023 | 0 mins read

कोमल कभी ,कभी लगती कठोर है,

कभी शक्तिशाली कभी कमजोर है,

परिवार का मजबूत आधारस्तंभ,

नारी जैसा कहाँ कोई बोलो और है।


ममता की मूरत बन सबको है पालती,

दया की मूरत बन सबको है संभालती,

प्रेम की सबसे मजबूत बनती आधार,

हर बिगड़े को सदा ही वह सँवारती।


बेटी बहन के रूप में रौनक है घर की,

मॉं के रूप में रक्षक बनती हर पहर की,

प्रेमिका के रूप में प्रेम का पाठ पढ़ाती,

बहू के रूप में रौनक गाँव और शहर की।


दादी नानी के रूप में अनुभव को बाँटती,

गलतियों पर वह बेझिझक हमें डाँटती,

क़रती फिक्र और रखती ख़्याल हरपल,

मुश्किलों के समय को हिम्मत से काटती।


घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी उठाती है,

कितनी भी मुश्किल हो नही घबड़ाती है,

शक्ति का स्वरूप बन बिगड़ी को बनाती ,

शृंगार से स्वयं और हर घर को सजाती है।


नारी है नारायणी रूप इनके अनेक है,

हर रूपों में इनकी पहचान बस एक है।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.