एहसास

मन में पलते एहसास

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 29 Jul, 2021 | 1 min read

अनायास ये एहसास 

नही पलता है मन।

तमाम अवरोधों विसंगतियों के बीच

जब टूटता ह्रदय

उठती मन में कसक,

काश किंतु परंतु में उलझता मन,

नही दिखे कोई अपना करीब

जो पहचान सके जज्बात

ठीक उस वक़्त कोई हौले से आकर

आँखों ही आँखों में पूछे दिल का हाल,

या फिर बेवजह के लतीफ़े

से बहलाये ।

आँसू के आने से पहले मुस्कुराहट लौटा दे।

फिर पलता है मन में जज़्बात।

बंधनों से परे हो,

मर्यादाओं की सीमा रेखा में खड़ा हो,

बस उसका होना ही दे सुखद एहसास।

बस जिसके एक लफ्ज से ही

मिल जाये सुकून

या फिर जीवन को सौगात।

उसके लिए बेवजह बेख्याली में

मन में पलते हैं एहसास।

एक सुखद कल्पना के साथ।

या फिर एक सुरक्षात्मक कवच से घिरे हो

उसके होने से आस पास।

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Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

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  • Sonia Madaan · 2 years ago last edited 2 years ago

    Nice 😌

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