उम्र के इस पड़ाव पर अनेक विसंगतियों के बावजूद एक सबसे बड़ी नेमत है मम्मी पापा का सदा साथ होना।
खुशी के क्षण हो,दुख के क्षण हो,शादी विवाह ,पार्टी,या फिर कोई भी मौका हमलोग साथ ही रहते ।कभी कोई ऐसा क्षण न रहा जब हम साथ न हो।कब मम्मी के कठोर अनुशासन में पली बढ़ी मैं मम्मी की बेहतरीन दोस्त बन गयी।उनके चूड़ी कंगन मेकअप ज्वेलरी साड़ी पर अधिकार हो गया पता ही नही चला,अब तो स्थिति यह है कि मम्मी की शॉपिंग लिस्ट से जो सामान आता ,उसमें पहले मैं चयन करती।इधर कुछ दिनों से मेरी मम्मी की तबियत खराब रहने लगी।और उनकी तबियत बिगड़ने की स्थिति में मेरे मन में भी घबड़ाहट का आना स्वावभाविक है।और उस समय जब मैं मम्मी को गले से लगाकर झप्पी देती तो ऐसा महसूस होता कि दोनों एक दूसरे का संबल बन रहे हैं।दोनो के बीच एक मौन संवाद चलता कि घबड़ाओ मत हम साथ साथ हैं,हर परिस्थिति से लड़ने के लिए।
वह प्यारी सी झप्पी हम दोनों को ही भावनात्मक रूप से करीब बहुत करीब बहुत लाती।और दोनो का आत्मबल बढ़ जाता।
वाकई अपनेपन की एक झप्पी किसी भी हारी बीमारी में अचूक औषधि बन जाती है।
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