हौसला

हौसला

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Sep, 2021 | 0 mins read

कई बार जब चोट तीव्रतम हो तो,

वह उतना ही उबरने का हौसला देती है

अंतर्द्वंदों से जूझकर जीने का

एक नया तजुर्बा देती है।

भावनाओं का उठता ज्वार,

जब मन को व्यथित और विकल करता,

तभी गहराई में उतरकर हमें

खुद को जानने का मौका देती है।

परिस्थितियाँ जितनी विकट होती हैं,

उतनी ही हमारी क्षमता बढ़ती,

और मजबूती से उभरने का हौसला देती है।

पाने खोने की जद्दोजहद में जब भी

डूबा उतराया मन,

अपनी परछाई भी साथ छोड़कर

संघर्षों का सामना करने का मौका देती है।

खुशी नही मिलती बड़े बड़े अवसर की तलाश में,

पलों में जो खुशी ढूँढ़े

वही जिंदगी जी पाने का रास्ता देती है।

नही आसान लीक से हटकर अलग चलना,

साथी बनते कई छूटते कई

अफसोस और कसक ताउम्र के लिए

छोड़ जाती है मन में

फिर भी जीने का सबक नया देती है।

राह की मुश्किलें तोड़ती हथौड़े जैसी,

पर ये पत्थर निश्चय

हर चोट के बाद और मजबूत होने का

इरादा पक्का देती है।

किस्मत में लिखा होता बहुत कुछ,

बस कर्मरत होने की प्रतीक्षा

यही जिंदगी निर्णय सुना देती है।

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