ईश्वर में विश्वास एक ऐसी अद्भुत शक्ति है जो हमारे अंदर सदैव सकारात्मकता को जिंदा रखती है तथा कभी भी हार मानने नही देती है।ईश्वर में विश्वास के सहारे ही हम जीवन की कठिनतम परीक्षा को दे देते हैं और सफल भी होते हैं।
यहाँ कितने लोगों का मानना यह भी हो सकता है कि ईश्वर नही होता या तुमने ईश्वर को देखा है जो तुम ईश्वर पर विश्वास कर रही हो यह तुम्हारा मन का वहम भी हो सकता है।
वाकई ऐसे प्रश्न उठना स्वावभाविक है।परंतु मेरा मानना है कि मेरा विश्वास ही ईश्वर है जो सदैव मुझे अच्छे कर्मों के लिए प्रेरित करता,मुझे हारने,टूटने और बिखरने नही देता।
जब भी कोई संकट आई हो तो किसी न किसी रूप में ईश्वर मुझे रास्ता दिखाने के लिए ,सहारा देने के लिए या फिर मेरी मदद करने के लिए किसी न किसी को अवश्य भेज देते हैं।
इसको एक उदाहरण से इस प्रकार समझा सकती हूँ ,बात तकरीबन 6-7वर्ष पहले की है मैं इलाज हेतु मम्मी पापा के साथ भेलौर गयी थी,वहाँ पर जाँच रिपोर्ट आने में दो दिन का समय था तो हमलोग तिरुपति बाला जी के दर्शन के लिए गए चूँकि मैं नंगे पाँव एक कदम भी नही चल पाती तो मंदिर वगैरह जाने के लिए इंकलेट रखती जिसे मैं पैरों में पहन लेती।और इस बार वह होटल के कमरे में ही छोड़ चुकी थी जो मंदिर से 40 किलोमीटर लगभग था।अब मुझसे चला नही जा रहा था और मंदिर में चप्पल पहनकर जा नही सकते।फिर मॉं पापा के कंधों के सहारे से मैं बहुत धीरे धीरे चल रही थी,तभी कतार में मेरे पीछे एक युवक थे पता नही कौन थे कहाँ से थे पर वो भी अपने पिताजी को दर्शन के लिए लेकर आये थे उन्होंने मम्मी को कहा हटिये आंटी मैं और अंकल इन्हें सहायता कर देते, पता नही वो कौन थे पर उन्होंने लगभग मुझे पापा की मदद से उठाते हुए दर्शन कराकर बाहर पहुँचा दिया और फिर चले गए ।मुझे ठीक से धन्यवाद कहने का मौका भी नही मिला।मगर उस दिन से यह विश्वास बलवती हो गया कि ईश्वर किसी न किसी रूप में हमारी मदद जरूर करते हैं।
और ईश्वर में विश्वास भी बढ़ गया।
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