आज वैश्विक महामारी के इस दौर में चौतरफा संकट गहरा रहा है,एक तरफ जहाँ बीमारी को लेकर हर मन में भय है,लोग डरे सहमे हैं वहीं दूसरी तरफ लोक डाउन के कारण आर्थिक सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं भी जड़ें गहरी की हुई हैं।
कितने लोगों की नौकरी व्यवसाय सब ठप हो गए हैं तो रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए संघर्षरत ,रहन सहन में परिवर्तन मजबूरी हो गयी है।
जिसके कारण चाहे अनचाहे मानसिक दबाव को झेलना पड़ रहा है।
बच्चों का बचपन छीन गया है,एकल परिवार की खामियां इस संकट काल में नजर आ रही हैं कि बच्चे खुद को नितांत अकेला महसूस कर रहे हैं।
सभी की जिंदगी कैद होकर रह गयी है,हालाँकि समय की नजाकत भी यही कहती है कि इस समय अनावश्यक रूप से बाहर न निकला जाए।
दो तरह के परिवार इस समय हैं एक तो जो कोरोना संकट से जूझ रहे तो दूसरा कोरोना संकट से बचने के लिए घरों में कैद हैं।
दोनों तरह के परिवारों में तनाव का वातावरण है जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को परेशान कर रहा है।
तो इनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए इस पर मैं ध्यान परिलक्षित करना चाहूँगी।
पहला जो कोरोना संकट से बचाव के लिए अग्रसर हैं उसके लिए खुद को घरों में कैद करके रह रहे हैं।
1.घरों में रहते हुए अपने शौक को नया आयाम दिया जाए,चाहे वह ड्राइंग पेंटिंग सिलाई कढ़ाई बुनाई ,पेड़ पौधों की सेवा,डांसिंग सिंगिंग,वीडियो बनाना,लिखना ,परिवार और बच्चों के साथ मिलकर कुछ रचनात्मक कार्य,खेल कूद ,योगा ,कुकिंग ,लिखना ,पढ़ना ही क्यों न हो।
2.टेलीविजन पर समाचार कम से कम देखें।
3.बच्चों को कहानियाँ पढ़ने सुनने के लिए प्रेरित करें
4.अपने प्रियजनों से बिना किसी पूर्वाग्रह के कोई भी मन मुटाव हो उसे भुलाकर संपर्क में रहें।
5.अनावश्यक तनाव से बचें।
6.दोस्तों या परिवार से बात करते समय सिर्फ ऐसे मुद्दों पर ही बात करें जो चेहरे पर मुस्कान लाएं।
7.अगर आप सामर्थ्यवान हैं और कोई आपका जाननेवाला आर्थिक संकट से जूझ रहा तो उसका संबल बनें।
8.और अंत में जब तक हम न चाहे हम खुश नही रह सकते,तो अवश्य खुश रहने का प्रयत्न करें।
हर कार्य समय का सकारात्मक पक्ष ढूढने की कोशिश करें।
9.मानव होने के नाते चिंता दुख तकलीफ सब जीवन में आते ही रहते हैं और हमें इस बात की कोशिश करनी चाहिए कि चिंता,नकारात्मक सोच को अपने ऊपर हावी न होने दें।
ऐसे परिवार जो कोरोना संक्रमित हो या उनसे उबर चुके हो-
1.कोरोना संक्रमित परिवार में सबसे जरूरी है कि मानसिक तनाव न हावी हो,इसके लिए चिकित्सक परामर्श का पूर्णतः पालन किया जाय।
2.उनसे लगातार संपर्क में रहकर उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाय,जैसे भोजन फल इत्यादि मुहैया कराने की जिम्मेदारी पूर्ण की जाय।
3.शारीरिक दूरी जरूर बनाएं पर मानसिक संबल देना जरूरी है।
4.व्यर्थ के सुनी सुनाई ज्ञान उन्हें न दिया जाय।
5.कोई भी भय वाली दुखद सूचनाएं न दी जाएं।
6.रोगी के लिए भी यह जरूरी है कि मन से मजबूत होने की कोशिश करें, पैनिक न हो ।
7.लगातार दोस्तों के संपर्क में रहे जिनसे बात करके उन्हें अच्छा महसूस हो।
8.रोगी के साथ संपर्क के दौरान अच्छे श्रोता की भूमिका निभाई जाएं
9.अगर फिर भी डर भय तनाव होता है तो मनोचिकित्सक से बात करने से परहेज न करें।
10.दिमाग में यह बात जरूर रहे कि समय कठिन है पर समय कभी एक सा नही रहता।
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