भारतीयों का विदेशों में पलायन

विदेश में जाने और बसने का कारण

Originally published in hi
Reactions 0
310
Ruchika Rai
Ruchika Rai 15 Sep, 2022 | 1 min read

गृह मंत्रालय के मुताबिक़ साल 2021 में 163,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी. 

सरकार ने प्रक्रियाओं में ढील दी और ऑनलाइन आवेदनों को सक्षम किया और यह आवेदनों में वृद्धि का एक कारण हो सकता है। महामारी के बाद नौकरी के अवसरों में कमी और वेतन के पैकेज में गिरावट देश छोड़ने का एक और विश्वसनीय कारण हो सकता है। हालांकि अब उपलब्ध आंकड़े यह नहीं दर्शाते हैं कि आवेदन करने और विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के बीच एक बड़ा अंतर है क्यों है भारतीय कहां जा रहे हैं और क्यों जा रहे हैं, यह समझने से पहले यह जानना जरूरी है कि भारत अपने नागरिकों को दोहरी नागरिकता का विकल्प नहीं देता.दूसरे देशों में नागरिकता हासिल करने के इच्छुक लोगों को भारत की नागरिकता छोड़नी होती है. हालांकि, ऐसे लोग भारत के विदेशी नागरिक (ओसीआई) कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं. इससे उन्हें भारत में रहने, काम करने या कारोबार चलाने के संबंध में कुछ रियायतें मिल जाती हैं.नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 8 और नागरिकता नियम, 2009 के नियम 23, किसी व्यक्ति के लिए अपनी नागरिकता त्यागने के तरीके तय करते हैं

भारतीयों के विदेश में बसने और अपनी नागरिकता छोड़ने का एक दूसरा अहम और तेजी से उभरता कारण ‘गोल्डन वीजा’ कार्यक्रम है. कई देश यह सुविधा उपलब्ध कराते हैं.सिंगापुर और पुर्तगाल जैसे देश यह कार्यक्रम चलाते हैं. इस कार्यक्रम में अमीर व्यक्तियों को नागरिकता हासिल करने के बदले इन देशों में बड़ी मात्रा में निवेश करना होता है.हाल के वर्षों में ऐसे कार्यक्रमों को पसंद करने वाले भारतीयों की संख्या बढ़ी है.


एक तरफ भारत विश्व की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था बन अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी छाप छोड़ रहा है. वहीं इतनी बढ़ी आबादी का देश छोड़कर जाना चिंता का विषय अवश्य है.

देश को विकसित बनाने में चुनी हुई सरकारों के साथ-साथ नागरिकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले छात्रों में से करीब 70-80 प्रतिशत युवा वापस भारत नहीं लौटते। करियर और अच्छे भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए वे विदेश में ही बस जाते हैं।

आखिर क्यों कुछ भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं? अमेरिका, कनाडा समेत इन देशों को बना रहे नया घर इसके बहुत से कारण है जिनपर चर्चा करने से पहले यह जानना जरूरी है कि उनकी पसंद क्या है?

 भारत छोड़कर जाने वाले लोगों की पहली पसंद अमेरिका है। दूसरी पसंद कनाडा है। इसके अलावा लोग आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, इटली, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, जर्मनी, नीदरलैंड और स्वीडन आदि देशों में भी जा रहे हैं। 

आखिर क्यों कुछ भारतीय देश की नागरिकता छोड़ रहे हैं? 

रोजगार की उचित व्यवस्था का न होना इसकी एक वजह मानी जा रही है।

कहा जा रहा है कि बिजनेस करने वालों को भी देश में अपने लायक माहौल की कमी खल रही है। रहन-सहन या कहें कि जीवनशैली भी उनके पलायन का एक कारण है। असल में धनी लोगों को अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया और इटली जैसे देशों में जीवन स्तर बेहतर दिखाई देता है। इसीलिए वे अपने और अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक नए विकल्प के रूप में ऐसे देशों को चुन रहे हैं।

विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था पलायन का एक बड़ा कारण है। भारत की शिक्षा व्यवस्था अभी उतनी अच्छी नहीं है, जितनी कि उन देशों में है, जहां भारतीय जाना ज्यादा पसंद करते हैं। अमेरिका में भारतीय छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

शिक्षा के क्षेत्र में देश में मूलभूत ढांचे का कमजोर होना भी देश से हो रहे ‘ब्रेन-ड्रेन’ का एक कारण है। देश का होनहार युवा तमाम कोशिशों के बावजूद, देश में आरक्षण और अन्य वजहों के चलते अपने हुनर को निखार नहीं पाता। किसान का पुत्र अगर पढ़ाई-लिखाई में तेज है तो वह खुद को अच्छी शिक्षा देने की होड़ में लग जाता है। ऐसे में उसका किसान पिता भी उसे रोकता नहीं है बल्कि वह जरूरत पडऩे पर अपनी जमीन को गिरवी रख कर उसे पढ़ाता है। परंतु आरक्षण कानून के चलते जब उसे अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती तो वह हताश हो जाता है। 

भारत में अभी तक एकल नागरिकता का ही प्रावधान है। कानून के जानकारों के मुताबिक दोहरी नागरिकता का प्रावधान भी पलायन का एक कारण है। भारत छोड़ कर जाने वाले लोगों की प्राथमिकता उन देशों में जाकर बसने की भी है जिन देशों में ऐसा कानून है। यदि कोई भी भारतीय अपनी नागरिकता और पासपोर्ट छोड़ देता है तो उसे भारत सरकार दोहरी नागरिकता न दे कर आ.सी.आई. कार्ड जारी कर देती है। 


भारत में विभिन्न क्षेत्रों के प्रवीण, प्रतिभासम्पन्न एवं विलक्षण क्षमता वाले व्यक्तियों की बड़ी तादाद हैं, जिनमें वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ, साहित्य या कलाओं के विद्वान, चित्रकार, कलाकार, प्रशासनिक अधिकार, डॉक्टर, सी.ए. आदि। असाधारण प्रतिभा संपन्न ऐसे लोगों का अपने देश की प्रगति और समृद्धि में योगदान होना चाहिए, जबकि वे विदेशों में रहकर अपनी प्रतिभा का उन देशों को लाभ पहुंचा रहे हैं। हो सकता है ऐसे योग्य व्यक्तियों में से कुछ लोगों को अपने ही देश में कोई संतोषजनक काम नहीं मिल पाता या किसी न किसी कारण से वे अपने वातावरण से तालमेल नहीं बिठा पाते। ऐसी परिस्थितियों में ये लोग बेहतर काम की खोज के लिए या अधिक भौतिक सुविधाओं के लिए दूसरे देशों में चले जाते हैं। क्या ऐसे लोगों का देश के प्रति कोई दायित्व नहीं है, निश्चित ही लोगों को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।

भारत जैसे देशों में प्रतिभाशाली युवक आरक्षण प्रणाली से पीड़ित हैं। आरक्षित वर्ग के कई अयोग्य लोगों को उच्च वेतन वाली नौकरियां मिलती हैं जबकि योग्य उम्मीदवारों को कम वेतन वाली नौकरी से संतुष्ट होना पड़ता है। योग्य व्यक्तियों के लिए ऐसा स्वाभाविक है जो अलग देश में अपनी प्रतिभा के समान नौकरी तलाशने के लिए वहां स्थानांतरित हो जाते हैं। सही समय है कि भारत सरकार को इस पक्षपाती आरक्षण प्रणाली को खत्म कर देना चाहिए। मेरिट एकमात्र फैसले का आधार बने।

इसके साथ ही विदेशों में जाकर नौकरी करना या बस जाना आजकल सामाजिक और पारिवारिक प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता ।ऐसे परिवार जिनके बच्चे विदेश में रहते उन्हें बड़ा सम्मान मिलता।

उनकी शानो शौकत को उनके विकास से देखकर जोड़ा जाता,यही कारण है कि वह विदेशों की ओर उन्मुख होते।

भारतीय अर्थव्यवस्था को यदि मजबूत करना है तो यह पलायन रोकना होगा। अन्यथा धीरे धीरे ही सही हमारा देश कमज़ोर होता चला जायेगा🙏🏻

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.