जेवर अर्थव्यवस्था और हम

जेवर अर्थव्यवस्था और हम

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 25 Nov, 2021 | 1 min read

आज राधा सुबह से ही आलमारी खोलकर बैठी हुई थी,वह अपने शादी से लेकर अब तक के सारे जेवर निकाल कर देख रही थी ,और अनुमान लगा रही थी की कुल कितने के ये सारे जेवर होंगे।

राधा शुरू से ही जेवर की शौकीन थी गृह खर्चों से पैसे बचा बचाकर वह छोटे मोटे जेवर बनवा लेती थी।उसका मानना था कि यह जेवर उसके मुसीबत समय में काम आयेगा।और जरूरत पड़ने पर उसके बदले में पैसे लेकर वह अपनी समस्याओं को सुलझा लेगी।

कोरोनकाल में पति की नौकरी जाने और पारिवारिक व्यवसाय में घाटे होने के बाद उसकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गयी थी।उसने अपने पति को समझाबुझाकर नये सिरे से अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए मना लिया था।और इसके लिए वह अपने सारे जेवर निकाल रही थी ताकि बेचकर अपने व्यवसाय में लगा सके।

उसके पास लगभग 15 लाख से ऊपर के गहने थे।

और उसे यह लग रहा था कि 15 लाख रुपये मिल जाने पर वह अपने व्यवसाय को नई बुलंदियों तक ले जाएगी।

मगर यह क्या मेकिंग चार्ज इत्यादि के नाम पर कितने पैसे काट पीट कर 10-12 लाख ही मिल रहे थे।

राधा सदमे में थी इतने जोड़ तोड़ के बाद मेहनत से पैसे बचाई थी और उसका लाभ उसे नही मिल पा रहा था।

तब राधा के एक जानने वाला ने बताया कि जेवर के रूप में सोना में लगाना मूर्खता ही है।

अपनी छोटी छोटी बचत को डिजिटल गोल्ड के रूप में क्रय करना सबसे बेहतर है।

क्योंकि डिजीटल गोल्ड में निवेश से देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी।और देश के विकास में इससे सहयोग मिलेगा।

इसके लिए बेहतर है जार एप्प में निवेश करें और अपने छोटे छोटे बचत से डिजिटल गोल्ड खरीदें।

#राधा ने कहा कि डिजिटल गोल्ड किस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था में सहयोग करता है?

तब उसके दोस्त ने बताया कि 23000-24000 टन सोना है। यह 800 अरब डॉलर का है।यह देश की जी डी पी में 7 फीसदी योगदान देता है।

इसलिए #जार_एप्प के तहत गोल्ड में निवेश कर अपनी भविष्य को स्वर्णिम बनाएं और देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करें। भारत

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