करवा चौथ

करवा चौथ

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Ruchika Rai
Ruchika Rai 24 Oct, 2021 | 0 mins read

कर के सोलह शृंगार,

महावर ,आलता, मेंहदी, बिंदी,टीका ,सिंदूर

और हाथों में सजी है मेंहदी ,

और लिखा है साजन का नाम।

सारा दिन का व्रत उपवास,

फिर भी नही शिकन कोई ,

और करती है चाँद का इंतजार।

चाँद में देखती है पति की छवि को,

मन में उठ रहे भावनाओं का ज्वार,

सारा संसार पति को है मानती,

करती है पति के लिए पूजा और प्रभु से गुहार।

मन में है बस पति की छवि,

सोचों पर है उनका पहरा,

सारे शौक पति के लिए ही ,

पति के लिए सर्वस्व समर्पण को तैयार।

पति के नाम को ही स्वीकारती,

उसके जिम्मेदारी को सँभालती,

उसके प्रेम को है सहेजती,

और उसके विश्वास को है गाँठ बाँधती,

इसके लिए न्योच्छावर करती अपनी ख़ुशियाँ अपार।

पति के सुख दुख में साथ निभाती,

उसके गम को है आपस में बाँटती,

उसकी उन्नति को है अपना मानती,

यही है उसके जीवन का सुख सार।

कर के सोलह शृंगार,

करती चाँद का है इंतजार,

दीर्घायु हो पति ,वही है उसका संसार।

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Ruchika Rai

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  • Hem Lata Srivastava · 4 years ago last edited 4 years ago

    बहुत सुन्दर रचना

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