ढक्कन का महत्व ,अजी क्या बात करते हैं ढक्कन का महत्व नही पता है,ढक्कन बिना सब सूना।
ढक्कन का महत्व नही रहता तो जिसको आप कलम देते वो ढक्कन के साथ आपको वापिस करता ।नही न तब सोचिये जरा ये ढक्कन कितने काम की चीज है।
जरा आपसे काम बिगड़ा नही फट से कह देंगे लोग अरे वो ढक्कन है।
अरे मियाँ बिल्कुल सही कहा आपने हम ढक्कन ही तो जिसके बिना आपका गुजारा नही ।
आपका अस्तित्व दो कौड़ी का हो जाएगा अगर हम ढक्कन न रहे तो।
जैसे बोतल डिब्बा जो भी ढक्कन वाली वस्तु है बेकार और कबाड़ हो जाती ढक्कनों के बिना,ठीक वही हाल होगा उन डिब्बों का जो झट से आप पर ढक्कन होने का इल्जाम लगा देते हैं गोया उनका काम उन ढक्कनों के बिना चल ही जानी है।
अब आई ढक्कनों की बात कुछ बेचारे सीधे साधे ढक्कन जो अदब लिहाज में ढक्कन बने रहते हैं कि कैसे कहे कैसे बोले।
क्योकि वाकई में वो सरल होते,चालाकियों से उनका दूर दूर तक वास्ता नही होता,वो ढक्कन बने रहते क्योकि वह एहसानफरामोश नही होते।
अब आप सोच रहे होंगे कैसा एहसान कौन सा एहसान, अरे वही एहसान जो करते बेचारे ढक्कन और श्रेय लेते बोतल ।और सिर्फ श्रेय ही नही लेते बार बार याद दिलाते रहते।
अब भगवान भला करें उन ढक्कनों का।
अब आते हैं दूसरे प्रकार के ढक्कन जो मिल रहे लाभ के लालच में ढक्कन बने रहते,वह लाभ पद प्रतिष्ठा धन कुछ का भी हो सकता।
ऐसे ढक्कन बड़े शातिर होते ,जहाँ लाभ नही मिला पलटी खाई और चल दिए दूसरे पाले में।
ऐसे ढक्कन बोतल पर भारी होते ,बोतल को भ्रम रहता कि वो उस्ताद है जबकि असली बात है कि ये ढक्कन उन्हें उस्ताद बनने का मौका दे रहे।
तो भैया आपको यही करना है कि इन ढक्कनों से सावधान रहना है दोनो स्थिति में ये घातक हैं,सीधे सरल हुए तो सही को सही न कह पाएंगे।
और तेज तर्रार हुए तो पक्का मतलब परस्त होंगे।
तो अब आप समझ ही गए होंगे इन ढक्कनों को तो बच कर रहिये।
न ढक्कन बनिये न ढक्कन बनने दीजिये।
अरे बने भी तो ऐसे ढक्कन बने जो उपयोगी हो।
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मस्त 👌
संदेशप्रद सृजन
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