भूख

भूख

Originally published in hi
Reactions 0
269
Ruchika Rai
Ruchika Rai 18 Oct, 2021 | 1 min read

ईश्वर कैसी विसंगतियों से भरा

जीवन तूने सबको सौंपा।

दोष कर्म का या प्रारब्ध का

पर ये तो तुम्हारा ही लेखा।

एक तरफ खाने के प्लेट से 

भरी हुई टेबुल।

ऊपर से पसंदिगी या नापसंदिगी

की मन में उलझन।

जिह्वा स्वाद पेट से ऊपर 

का प्रयोजन।

और दूसरी तरफ रोटी के

एक टुकड़े को तरसते हुए लोग।

बस पेट भर जाए

स्वाद की कहाँ है कोई जरूरत।

ईश्वर कैसी है ये खाई

तुम्हारे बनाये समाज में।

जो पाट भी न सके,

और उसे देखा भी न जाया जा सके।

एक तरफ झूठी प्लेट

उसमें भरा हुआ भोजन।

छोड़ देते की अब और नही,

नही खा सकते इससे तनिक ज्यादा।

दूसरी तरफ उसी जूठन

से पेट भरता हुआ मानव।

मानो स्वर्गिक आनंद की प्राप्ति,

हो गया जीवन सफल।

ईश्वर तेरी सृष्टि का कैसा है ये नियम।

एक तरफ फरमाइशों का जोर,

दूसरी तरफ कूड़े के ढेर पर

जूठा बिनता हुआ एक गरीब बालक।

विकास का बढ़ता दर

प्रगतिशील देशों में अंकित नाम,

और भूखे पेट मरता हुआ जीवन।

क्या खाक बढ़ रहे रफ्तार से,

भूख और मौत का होता देख गठबंधन।

0 likes

Published By

Ruchika Rai

ruchikarai

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.