खुद से बड़ा कोई हमसफ़र नही होता,
फूलों से सजा हर रहगुज़र नही होता।
काँटों को पार कर जो चले हैं रास्तों पर,
उनके दर्द का किसी को खबर नही होता।
मंजिल की तलाश में भटक रहे हैं सभी,
हमेशा सुहाना किसी का सफर नही होता।
परीक्षाएँ जो जिंदगी में मिलती है हर बार,
ये हमेशा रब का कोई कहर नही होता।
तकलीफ में जो काम आता दवा जैसा,
कड़वा ही सही मगर वो जहर नही होता।
हमसफ़र की तलाश में तन्हा क्यों भटकते,
सभी को मिले रब का ये करम नही होता।
अकेले चले चलो तुम अपनी धुन में मगन,
सबको मिले वो आसान डगर नही होता।
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