दो वक़्त की रोटी,रहने को छतनुमा घर
और फिर पहनने को कपड़े
ये है हमारा पूर्ण अधिकार।
मगर इसके लिए न करने पड़े चोरी,
डकैती और बुरे कर्म हजार,
यही है मानवाधिकार।
नही कभी कोई छीन सके मुँह के निवाले,
नही पड़े कभी पेट भरने के लाले।
बीमारी में चिकित्सक की सुविधा,
तकलीफ को कम करने के लिए मिल जाये दवा,
यही है मानवाधिकार।
न सड़क पर किसी लड़की को छीटाकशी सहना हो,
न ही अपनी अस्मिता की रक्षा के लिए
सकुचा कर आगे कभी बढ़ना हो,
निडर निश्चिन्त बेफिक्र होकर समाज में हो रहना,
यही है मानवाधिकार।
हर बच्चे का बचपना सुरक्षित रहे,
उनके विकास के लिए अवसर उन्हें मिले,
मनपसंद शिक्षा का उन्हें मिले अधिकार,
यही है मानवाधिकार।
परस्पर सहयोग की भावना प्रबल हो,
एक दूजे के संग सबल हो,
उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिए सभी,
एक दूसरे का बढ़ाये मनोबल हो,
यही है मानवाधिकार।
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